पेट्रोल की बढ़ती कीमत और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने स्टूडेंट ने पुराने स्कूटर को बदला इलेक्ट्रिक स्कूटर में

न पेट्रोल डलवाने की झंझट और न धुएं की चिंता

सागर। कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। इस कहावत को पॉलिटेक्निक कालेज के स्टूडेंट ने चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने तीन दशक पुराने मेकेनिकल स्कूटर को इलेक्ट्रिकल स्कूटर में बदलने में सफलता मिली है। इस इलेक्ट्रिक स्कूटर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे रोज-रोज चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ती। एक बार चार्ज करने पर यह 15 दिनों तक चलेगा। वहीं पेट्रोल के बढ़ते दाम से भी निजात मिलेगी। इस स्कूटर से ध्वनि और वायु प्रदूषण भी न के बराबर होगा। यह स्कूटर इको फें्रडली है।

पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से आया आइडिया

पेट्रोल की दिनोंदिन बढ़ती कीमत और प्रदूषण को देखते हुए उनके दिमाग में यह आइडिया आया। सागर मकरोनिया के पद्माकर नगर में रहने वाले 18 साल के इंजीनियर हिमांशु भाई पटेल ने 29 साल पुरानी स्कूटर को ई-स्कूटर में बदल डाला है। हिमांशु के दादा ईश्वर भाई पटेल ने वर्ष 1991 में यह स्कूटर खरीदा था। ई-स्कूटर बनाने वाले हिमांशु गुजरात में एक पॉलिटेक्निक कालेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। वे सेकंड ईयर के स्टूडेंट है।

स्कूटर की तकनीकी जानकारी

ई-स्कूटर को उन्होंने बाजार से जरुरी सामान लाकर घर पर ही तैयार किया है। यह ई-स्कूटर ऑटो चार्ज है। पेट्रोल टंकी की जगह पर बैटरी लगाई गई है। डिग्गी की खाली जगह में कंट्रोलर लगाया हुआ है। स्कूटर में एमसीबी बॉक्स भी लगाया गया है, जिसमें किसी भी प्रकार की तकनीकी दिक्कत आने पर वह तुरंत ही इंडिकेट करने लगता है। शार्ट सर्किट वगैरह होने पर यह ऑटोमेटिक ऑफ हो जाता है। स्कूटर और बैटरी को ना तो बार-बार की चार्जिंग की जरूरत है और ना ही पेट्रोल डलवाने की। बैटरी ऑटोमेटिक चार्ज होगी। जितना चलाएंगे उतना और चलेगा। यह नोइस पॉल्यूशन नहीं करता। आराम से अपने आप चलता रहता है। ई-स्कूटर गियर लगाते ही स्टार्ट होकर चलने लगता है। ई-स्कूटर को एक बार चार्ज करने पर 15 दिनों तक चलता है। यह ई-स्कूटर ऑटोमेटिक चार्ज भी होता है, जितना चलेगा, उतना ही चार्ज होगा।

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